Wednesday, January 22, 2020


AWAKE : Universal attraction makes you WEAK



The goal of life is to make your heartbeat match the beat of the universe, to match your nature with Nature.


एक शाम, खिड़की के पास बैठी हुई थी की मंदिर के साथ पड़ी माँ की दी हुई रामायण की और ध्यान गया। मैंने इसे उठा लिया और प्रणाम करने के बाद बीच में से एक पृष्ठ खोला, और वहाँ बाली से सुग्रीव के बीच हुए युद्ध और श्री राम द्वारा उसके वध का प्रसंग चल रहा था।दंत कथाओं के अनुसार बाली विक्षरज का इंद्र से उत्पन्न पुत्र था और ब्रह्मा की कृपा से उसे वरदान मिला की जो भी उससे युद्ध करेगा उसका आधी शक्ति बाली को प्राप्त हो जाएगी और इससे बाली इतना बलवान हो गया की उसने एक बार रावण को भी हरा दिया और उसे अपनी बग़ल में दबा कर घूमता रहा। 
 जब मैंने इस सब को पड़ा तो मेरे मस्तिष्क में कुछ तरंगे बहुत तेज़ वेग से प्रवाहित होने लगी। क्या कोई ऐसा व्यक्ति सच में हो सकता हैं जिसके समने उसके सामने जो भी हो उसकी शक्ति आधी ही रह जाए। और ठीक उसी वक़्त मेरे मस्तिष्क में एक चित्रपट की तरह चीज़ें घूमने लगी।
 कुछ दिन पहले मैं अपने एक मित्र के साथ माल में बैठी कोफ़ी पी रही थी की अचानक वहाँ एक बहुत ख़ूबसूरत, और आकर्षक लड़की आयी, उसकी बड़ी बड़ी आँखे, ख़ूबसूरत होंठ, सुन्दर बाल, उन्नत वक्षस्थल और कटी प्रदेश किसी भी पुरुष को मोहित करने के लिए पर्याप्त था और कोई स्त्री भी उसको देख के बिना ईर्षा के नहीं रह सकती। और जितना वो उसको देख रहा था उतना ही उसका आकर्षण और तेज़ बड़ता जा रहा था और ऐसा लगा जैसे मानो कोई विचित्र सी शक्ति उसे शीण किए जा रही हो। और कुछ ऐसा ही ऐहसास मुझे भी हुआ, ऐसे लगा मानो किसी ने मेरे शरीर का कोई आकर्षण ही ना बाक़ी रहा हो और मैं एक दम दीन हीन अवस्था में पहुँच गयी हूँ। 
मेरे मित्र ने कहा की वो उसे देख कर सम्मोहित हो गया हैं और उसे पाने के लिए कुछ भी कर सकता हैं। मैंने उसे इतना असहाय पहली बार देखा था। शायद ये ही आकर्षण का नियम हैं और जिसके अनुसार हर व्यक्ति के अन्दर एक बाली अप्रत्यक्ष रूप में विध्यमान हैं। जिस समय एक व्यक्ति अपनी काया या व्यक्तित्व को एक चुम्बक की तरह प्रयोग करता है उस वक़्त यदि आप उसे आँख भर कर देख ले या जानने के लिए प्रेरित हो उसी समय आप अनजाने में अपनी आधी शक्तियाँ उसको समर्पित कर देते हैं और शुरुआत होती हैं एक ऐसे अध्याय की जिसमें आपने पहले ही यह लिख दिया की आपने अपनी हार स्वीकार कर ली और जल्द ही आप अपने जीवन को दीन हीन और शीण बनाने की दिशा में अग्रसर हो जाते हो। शुरुआत होती हैं एक ऐसे रिश्ते की जिसमें आप अपने आप को हमेशा ही कमज़ोर और समय समय पर उपेक्षित पाते हो। क्यूँकि आपने शुरुआत ही ग़लत की हैं। जितने भी प्रेम सम्बंध मैंने अभी तक देखे हैं उनके शुरुआत शारीरिक और व्यक्तित्व के आकर्षण से होती हैं, ऐसा व्यक्तित्व जिसमें कुछ लोग अपने आसपास कुछ ऐसी चीज़ें पैदा कर लेते हैं जो जनसाधारण के लिए सहज ना हो, इससे दूसरों का आकर्षण उनकी तरफ़ शीघ्र ही इतना बड़ जाता हैं की आप बुनियादी चीज़ों को नज़रंदाज़ कर देते  हो। परंतु  जैसे जैसे वक़्त बितता हैं वो आकर्षण कमज़ोर पड़ता जाता हैं और इंसान जब दूसरे व्यक्ति से अपने सही स्थान और आपेक्षाए बताता हैं वो पाता हैं की उस रिश्ते में वो केवल सुग्रीव की जगह हैं और बाली उसकी सारी शक्ति और स्त्री रूपी आत्म सम्मान का हरण करके उसे निस्सहाय तड़पने के लिए छोड़ चुका हैं। ऐसे सम्बंधो में केवल दुखः, पीड़ा, पश्यताप और ग्लानि के कुछ हासिल नहीं होता।

आवश्यकता हैं की हम जागृत हो और बाली स्वरूपी व्यक्तियों से अपने आप को सुरक्षित और संरक्षित रखें। इसका एक मात्र उपाय हैं कि जो कुछ भी आकर्षित करता महसूस होता हो, उससे अपना ध्यान तत्शन हटा ले और उसे महत्व ना दे। देखे की क्या आपकी साँसें गहरी हो गयी हैं, क्या आप कुछ वेग महसूस कर रहे हैं, क्या आप उस शण कुछ कमज़ोर महसूस कर रहे हैं, क्या आप उसके व्यक्तित्व को बहुत ज़्यादा महत्व दे रहे हैं, यदि हाँ तो समझे घंटी बज चुकी हैं और अब अपनी शक्ति संचय का वक़्त हैं। निकल जाने दे उस पल को, संभल जाने दीजिए अपने आपको और जब आप कुछ देर बाद उस व्यक्ति को देखेंगे और उन बातों पर विचार करेंगे जो आप को असाधारण प्रतीत हो रही थी, आप पायेंगे की वो उतनी महत्वपूर्ण एवं असाधारण नहीं थी, आप अब शक्तिशाली महसूस करेंगे हैं और पाएँगे की उसका मिथ्या आकर्षण ग़ायब हो गया हैं। अब आप फ़ैसला कर सकते हैं की आपको क्या करना हैं, उस समय जागृत अवस्था में लिया फ़ैसला आपको एक सुन्दर और ख़ुशी जीवन जीने में सहायक होगा।